उपकार का बदला
उपकार का बदला
तोते ने उत्तर दिया, ‘‘ हे देवराज, कुछ समय पहले यह वृक्ष भी हरा-भरा और फूलॉ-फलों से लदा हुआ था। इसने बरसों तक मुझे आश्रय दिया और अपने मीठे-मीठे फल खिलाए। इसने आँधी-पानी और तूफान में मुझे सुरक्षा दी। आज यह सूख गया है। क्या मैं बुरे दिनों में इसका साथ छोड़ दूँ? क्या मैं अपने आश्रयदाता का उपकार भूल जाऊँ ?" उस सूखे वृक्ष के प्रति तोते का यह प्रेम देखकर इंद्रदेव बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने उस वृक्ष को फिर से हरा-भरा कर दिया। तोते ने खुश होकर इंद्रदेव का आभार माना। सीख : भलाई करने वाले का उपकार कभी नहीं भूलना चाहिए।