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बुधवार, ५ जानेवारी, २०२२

जैसी करनी, वैसी भरनी

             जैसी करनी, वैसी भरनी 


   एक रात चार चोरों ने मिलकर एक सेठ के घर में चोरी को चोरी में उन्हें बहुत सा धन मिला। उस धन का बैटवारा करने के लिए वे जंगल में गए। जंगल में पहुंचने पर चोरों को बहुत जोर की भूख लगी। सुबह होने ही वाली थी। उनमें से दो चोर मिठाई खरीदने के लिए शहर की ओर रवाना हुए। रास्ते में उन दोनों की नीयत बिगड़ गई। उन्होंने सोचा कि जंगल में बैठे हुए दोनों चोरों को मारकर सारा माल हम हजम कर लें। इस इरादे से उन्होंने मिठाई खरीदकर उसमें से कुछ खाई और बाकी बची हुई मिठाई में जहर मिला दिया। इधर जंगल में बैठे दोनों चोरों के मन में भी ऐसा ही बुरा विचार आया। उन्होंने भी शहर से मिठाई खरीदने गए अपने दोनों साथियों को मार डालने की तरकीब सोची। जैसे ही वे दोनों मिठाई लेकर आए. वे हाथ-मुँह धुलाने के बहाने उन्हें कुएँ पर ले गए। मौका पाकर उन्होंने दोनों को कुएँ में ढकेल दिया। दोनों चोर कुएँ में डूबकर मर गए। इसके बाद दोनों चोरों ने पेट भरकर मिठाई खाई। थोड़ी ही देर में मिठाई का जहर उनके सारे शरीर में फैल गया। देखते ही देखते उन दोनों के भी प्राण निकल गए। सीख जो जैसा करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है बुरे काम का परिणाम बुरा ही होता है।

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