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शनिवार, १७ सप्टेंबर, २०२२

ऐ मालिक तेरे बन्दे हम

        ऐ मालिक तेरे बन्दे हम



 ऐ मालिक तेरे बन्दे हम, ऐसे हो हमारे करम

 नेकी पर चलें, और बदी से टलें 

ता कि हँसते हुए निकले दम - ऐ मालिक तेरे बन्दे हम ॥धृ० ॥

 ये अन्धेरा घना छा रहा, तेरा इन्सान घबरा रहा 

हो रहा बेखबर, कुछ न आता नजर 

सुख का सूरज छिपा जा रहा

 है तेरी रोशनी में वो दम,

 जो अमावस को कर दे पूनम 

नेकी पर चले, और बदी से टले, ताकि हँसते हुए... ॥ १ ॥ 

बड़ा कमजोर हैं आदमी, अभी लाखो हैं इसमें कमी 

पर तू जो खड़ा, है दयालू बड़ा 

तू ही झेले हम सबके गम

 तेरी कृपा से धरती थमी 

दिया तूने हमें जब जनम

 नेकी पर चले, और बदी से टले, ताकि हँसते हुए ॥२॥ 

जब जुल्मों का हो सामना, तब तू ही हमें थामना

 वो बुराई करें, हम भलाई करें 

नहीं बदलेकी हो कामना

 बढ़ उठे प्यार का हर कदम 

और मिटे गैर का भरम 

नेकी पर चले, और बदी से टले,

 ताकि हँसते हुए निकले दम ऐ मालिक तेरे बन्दे हम .... ॥३॥

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