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रविवार, १८ सप्टेंबर, २०२२

हम करें राष्ट्र आराधना

         हम करें राष्ट्र आराधना



 हम करें राष्ट्र आराधना, हम करें राष्ट्र आराधना, हम करें राष्ट्र आराधना,

 तन से मन से धन से तन-मन-धन जीवन से

 हम करें राष्ट्र आराधना,

 अंतर के मुख कृति से निश्चल हो निर्मल मति से

 मस्तक श्रद्धा से नत से, हम करें राष्ट्र अभिवादन हम करें राष्ट्र अभिवादन 

अपने हसते शैशव से अपने खिलते यौवन से

 प्रौढतापूर्ण जीवन से हम करें राष्ट्र का चिंतन 

हम करें राष्ट्र का अर्चन 

अपने अतीत को पढ़कर अपना इतिहास उलटकर 

अपना भवितव्य समझकर, हम करें राष्ट्र का चिंतन

 हम करें राष्ट्र का चिंतन, हम करें राष्ट्र आराधना !

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हर देश में तू 

हर देश में तू, हर भेष में तू

 तेरे नाम अनेक, तू एक ही है। 

तेरी रंगभूमी, यह विश्वभरा, 

सब खेल में मेल में तू ही तू है ॥ १ ॥ 

सागरसे उठा बादल बन के 

बादल से फुटा जल होकर के । 

फिर नहर बना नदियाँ गहरी

 तेरे भिन्न प्रकार तू एक ही है ॥२॥ 

चीर्टी से भी अणू परमाणू बना,

 सब जीव जगत् का रूप लिया । 

कही पर्वत वृक्ष विशाल बना,

 सौंदर्य तेरा तू एक ही है ॥ ३ ॥ 

यह दिव्य दिखाया है जिसने, 

वह है गुरुदेव की पूर्ण दया ।

 तुकड्या कहे और न कोई दिखा, 

बस मैं और तू, सब एक ही है ॥४॥ 


- राष्ट्रसंत तुकडोजी

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