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शुक्रवार, २९ जुलै, २०२२

भ्रष्टाचार एक अभिशाप

                             भ्रष्टाचार एक अभिशाप. 



 | रूपरेखा : (1) अपराधी की अपेक्षा भ्रष्टाचारी अधिक घातक (2) सारी व्यवस्था भ्रष्ट (3) मिलावट की भरमार (d) भ्रष्टाचार का मूल कारण (5) वर्तमान व्यवस्था में बदलाव (6) कठोर दंड आवश्यक |  

                       भ्रष्टाचारों एक अपराधी की अपेक्षा सौ गुना अधिक घातक होता है। भ्रष्टाचार से अनेक व्यक्ति और परिवार प्रभावित होते हैं। जब भ्रष्टाचारियों को संख्या बढ़ जाती है, तो सारा देश प्रभावित होता है।   

                      आज नीचे से ऊपर तक सारी व्यवस्था भ्रष्ट है। सरकारी अथवा गैरसरकारी संस्थानों का प्रत्येक विभाग भ्रष्टाचार के रोग से ग्रस्त है। आज हर स्तर पर रिश्वत, दस्तूरी, नजराना, उपहार, 'हफ्ते' अथवा अन्य नाम से छोटी बड़ी राशि भेंट किए बिना किसी का कोई काम नहीं होता। दफ्तरों में फाइलें सरकाने के लिए 'वजन', 'दक्षिणा' अथवा ' पूजा' स्वरूप गुपचुप त्या खुलेआम, छोटे-बड़े नोट भरे लिफाफे सरकाने पड़ते हैं। भ्रष्टाचार के दलालों की संख्या बहुत बड़ी है। आज भ्रष्टाचार को रोकना असंभव हो गया है।

                      कुछ व्यापारी आम जनता को ठगने में जरा भी नहीं हिचकते। चीजों के मनमाने दाम वसूल करना तथा उनमें मिलावट करना। वे अपना धर्म मानते हैं। खाद्य सामग्रियों और औषधियों में मिलावट करने के कारण कितने ही लोगों की जानें चली जाती हैं, पर इन व्यापारियों को इसकी कोई चिंता नहीं होती। उन्हें केवल अपने लाभ की चिंता रहती है।

                    भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने से पहले उसके मूल कारणों पर गौर करना चाहिए। भ्रष्टाचार के मूल में जीवन को सुख-सुविधाओं का लोभ छिपा है। ऐसे लोभियों की संख्या बहुत बड़ी है। छोटे-बड़े सभी इस लोभ के शिकार हैं। इनमें कुछ निर्दोष लोग भी हैं। वर्तमान व्यवस्था में हो अनेक दोष हैं। व्यवस्था में परिवर्तन लाकर कुछ हद तक भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसके लिए कुछ सार्थक उपाय करना आवश्यक है।

                    भ्रष्टाचार चारों ओर फैला हुआ है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन जरूरी है। इसके लिए उन्नत तकनीक का प्रयोग करना चाहिए। कामकाज में पारदर्शिता लानी चाहिए। विकसित सूचना प्रणाली अपनानी चाहिए। कंप्यूटरों का प्रयोग करना चाहिए। पुराने कानूनों और नियमों की समय-समय पर समीक्षा करनी चाहिए। भयंकर आर्थिक अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए। जब तक भ्रष्टाचारी को कठोर दंड देने की व्यवस्था नहीं की जाएगी, तब तक भ्रष्टाचार पर अंकुश लगना बहुत कठिन है।

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