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शुक्रवार, २९ जुलै, २०२२

दूरदर्शन वरदान या अभिशाप? अथवा दूरदर्शन से लाभ-हानि

 दूरदर्शन वरदान या अभिशाप? अथवा दूरदर्शन से लाभ-हानि 

       


 [ रूपरेखा : (1) प्रस्तावना (2) खेल प्रतियोगिताओं का प्रसारण (3) विद्याध्ययन में बाधक (4) बच्चों पर बुरा प्रभाव (5) फैशनों के अंधानुकरण को बढ़ावा (6) निष्कर्ष । ]


                    दूरदर्शन ने संचार माध्यम तथा मनोरंजन के साधन के रूप में रेडियो, अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं को पीछे छोड़ दिया है। फिल्मों को भी उसने अपनी परिधि में ले लिया है। कुछ लोग ज्ञानार्जन के लिए दूरदर्शन के कार्यक्रम देखते हैं। 

                     दूरदर्शन के परदे पर हम धरती, आकाश, समुद्र, पर्वत, नदी तथा प्रकृति की विभिन्न क्रीड़ाएँ देखते हैं। ऑलिंपिक, एशियाड एवं अन्य विश्व स्तर की खेल प्रतियोगिताएँ भी हमें दूरदर्शन पर देखने को मिलती हैं। हॉकी, फुटबाल, बैडमिंटन, क्रिकेट आदि खेलों से लेकर हृदय, मस्तिष्क, गुर्दे और फेफड़े के जटिल ऑपरेशन तक दूरदर्शन पर प्रसारित किए जाते हैं। जलीय, स्थलीय एवं आकाशीय युद्धाभ्यास तथा कृषि एवं उद्योग के क्षेत्र में होने वाले चमत्कार भी दूरदर्शन के छोटे परदे पर देखे जा सकते हैं। 

                       इनके अतिरिक्त हम टी. वी. पर नृत्य-संगीत के कार्यक्रम भी देख सकते हैं। दूरदर्शन से हम घर बैठे ही अनेक प्रकार का शिक्षण-प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। 'रामायण' और 'महाभारत' जैसे लोकप्रिय और ज्ञानवर्धक धारावाहिक दूरदर्शन द्वारा प्रस्तुत किए गए थे। आज भी दूरदर्शन द्वारा अनेक रोचक, धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं। इस प्रकार दूरदर्शन हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

                      दूरदर्शन के कारण विद्यार्थियों के अध्ययन में कई प्रकार की बाधाएँ पहुँच रही हैं। वे अध्ययन के समय भी दूरदर्शन के कार्यक्रम देखते रहते हैं। अब सिनेमा का भला-बुरा प्रभाव घर बैठे ही सुलभ हो गया है और हमारी जिंदगी में गहराई तक उतर रहा है। पहले बच्चे और युवक क्रिकेट, हाकी, फुटबाल आदि खेलों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेते थे। इससे वे स्फूर्तिवान और स्वस्थ बनते थे। अब दूरदर्शन के परदे पर ही खेल प्रतियोगिताएँ देखकर वे संतुष्ट हो जाते हैं। 

                       दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाली अधिकतर फिल्मों तथा अन्य कार्यक्रमों में हिंसा, अश्लीलता और मार-धाड़ के अनेक दृश्य होते हैं। उनका बच्चों के कोमल मन-मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। दूरदर्शन के धारावाहिकों तथा विज्ञापनों में दिखाए जाने वाले फैशनों के अंधानुकरण की प्रवृत्ति नवयुवकों में तेजी से बढ़ रही है। 

                        दूरदर्शन एक सशक्त और व्यापक संचार माध्यम है। यदि इसका उपयोग बुद्धिमत्ता के साथ सही ढंग से किया जाए, तो अवश्य लाभ होगा। दूरदर्शन का उपयोग करने वाला व्यक्ति अपने विवेक से निश्चित करे कि कौन-सा कार्यक्रम देखना उसके लिए हितकारी है और कौन-सा कार्यक्रम उसके लिए अहितकर है।

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