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मंगळवार, २६ जुलै, २०२२

मेरा प्रिय खेल

                                         मेरा प्रिय खेल 




                        कोई न कोई खेल सभी को पसंद होता है। मैं भी खेलों का बहुत शौकीन हूँ। गुल्ली-डंडा, कबड्डी, टेनिस और बैडमिंटन खेलने में मुझे बहुत मजा आता है। फुटबाल और हाकी भी मुझे पसंद हैं। पर मेरा सबसे प्रिय खेल क्रिकेट है। केवल मैं ही नहीं, सारी दुनिया खेलों के राजा क्रिकेट की दीवानी है। 

                      क्रिकेट से मेरा गहरा रिश्ता है। मैं रोज शाम को अपने मित्रों के साथ क्रिकेट खेलने जाता हूँ। क्रिकेट के प्रति मेरी ऐसी लगन देखकर मेरे पिता जी ने मुझे एक मशहूर कंपनी का बल्ला खरीद कर दिया है। क्रिकेट की अच्छी तालीम मुझे मेरे चाचाजी से मिली है। ये क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी हैं। इससे उन्हें खूब प्रसिद्धि मिली। इसके कारण क्रिकेट में मेरी रुचि बढ़ती गई। क्रिकेट से संबंधित कई पुस्तकें मेरे पास हैं। मैं क्रिकेट के सभी नियमों से परिचित हूँ। क्रिकेट के लगभग सभी जाने-माने खिलाड़ियों के चित्र मेरे अलबम में हैं।

               मैंने अपने मुहल्ले में क्रिकेट की एक टीम बनाई है। कभी-कभी हम अन्य टीमों के साथ एक दिवसीय मैच भी खेलते हैं। उनमें अकसर हमारी ही टीम जीतती है। स्कूल की क्रिकेट टीम का मैं आल राउंडर खिलाड़ी हूँ। 

                    इस खेल से मेरे पूरे शरीर की अच्छी कसरत हो जाती है। मेरा शरीर फुर्तीला बना रहता है। क्रिकेट के कारण ही मुझमें अनुशासन तथा सहयोग आदि भावनाओं का विकास हुआ है। 

                 बड़ा होकर में क्रिकेट की दुनिया का एक तेजस्वी सितारा बनना चाहता हूँ। मेरा हमेशा यही प्रयास होगा कि क्रिकेट के खेल में हमारे देश का स्थान प्रथम रहे। क्रिकेट के खिलाड़ियों को खूब नाम और दाम (पैसा) मिलते हैं। जिस खेल में नाम और दाम दोनों कमाने का अवसर हो, वह खेल भला किसे प्रिय न हो ?

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