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मंगळवार, २६ जुलै, २०२२

गाँव की सैर

                  गाँव की सैर


[ रूपरेखा : (1) गाँव में जाने का अवसर (2) मित्र के घर में अपनापन (3) गाँव के लोगों का वर्णन (4) गाँव के आसपास का प्राकृतिक दृश्य (5) मन पर असर । ] 

                    होली की छुट्टियों में मैं अपने मित्र राजू के साथ उसके गाँव गया था। राजू के माता-पिता और उसके छोटे भाई बहन गाँव में रहते हैं। सभी ने मुझे बहुत स्नेह दिया। मैं एक सप्ताह उनके साथ गाँव में रहा। इन सात दिनों में मैंने गाँव के जीवन की सरलता और मधुरता का प्रत्यक्ष अनुभव किया। गाँव में मुझे बहुत शांति का भी अनुभव हुआ। 

                    राजू का घर पक्का था। उसकी स्वच्छता और सुंदरता देखने लायक थी। उस घर में शहर की सभी सुविधाएँ उपलब्ध रहीं। गाँव के शीतल जल और शुद्ध भोजन में मुझे अनोखो मिठास का अनुभव हुआ। गाँव के लोग भोले और मेहनती होते हैं। उनके हृदयों में स्नेह और आत्मीयता होता है। वे ज्यादा पढ़े लिखे तो नहीं होते, पर उनमें मानवता कूट-कूट कर भरी हुई होती है। मैं जिस घर में भी गया, उस घर के लोगों ने मेरे साथ स्नेहपूर्ण और ममता भरा व्यवहार किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि सच्चा भारत गाँवों में बसता है। राजू के गाँव में मुझे गांधी जी के इस कथन का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ।

                 वहाँ मैंने ग्राम पंचायत का शुद्ध और सुलभ न्याय भी देखा। गाँव के कारीगरों और मजदूरों में मैंने ईमानदारी के दर्शन किए। राजू के गाँव में कई मंदिर थे। मैंने उन मंदिरों में जाकर भगवान के दर्शन किए। 

                 गाँव में एक पाठशाला भी थी। मैं वहाँ भी गया। बच्चे जमीन पर बिछे टाट पर कतार में बैठ कर पढ़ रहे थे। सभी बच्चे खूब स्वस्थ थे।

                 मैंने गाँव के हरे भरे खेतों की खूब सैर की खेतों में चना, मटर और गेहूँ की फसलें लहलहा रही थीं। खेतों में दूर-दूर तक फूली हुई सरसों मन मोह लेती थी। कहाँ कहाँ कुएँ के पानी से खेतों की सिंचाई हो रही थी। मैं अपने मित्र के खेत गया.



[ रूपरेखा : (1) गाँव में जाने का अवसर (2) मित्र के घर में अपनापन (3) गाँव के लोगों का वर्णन (4) गाँव के आसपास का प्राकृतिक दृश्य (5) मन पर असर । ] 

                    होली की छुट्टियों में मैं अपने मित्र राजू के साथ उसके गाँव गया था। राजू के माता-पिता और उसके छोटे भाई बहन गाँव में रहते हैं। सभी ने मुझे बहुत स्नेह दिया। मैं एक सप्ताह उनके साथ गाँव में रहा। इन सात दिनों में मैंने गाँव के जीवन की सरलता और मधुरता का प्रत्यक्ष अनुभव किया। गाँव में मुझे बहुत शांति का भी अनुभव हुआ। 

                    राजू का घर पक्का था। उसकी स्वच्छता और सुंदरता देखने लायक थी। उस घर में शहर की सभी सुविधाएँ उपलब्ध रहीं। गाँव के शीतल जल और शुद्ध भोजन में मुझे अनोखो मिठास का अनुभव हुआ। गाँव के लोग भोले और मेहनती होते हैं। उनके हृदयों में स्नेह और आत्मीयता होता है। वे ज्यादा पढ़े लिखे तो नहीं होते, पर उनमें मानवता कूट-कूट कर भरी हुई होती है। मैं जिस घर में भी गया, उस घर के लोगों ने मेरे साथ स्नेहपूर्ण और ममता भरा व्यवहार किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि सच्चा भारत गाँवों में बसता है। राजू के गाँव में मुझे गांधी जी के इस कथन का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ।

                 वहाँ मैंने ग्राम पंचायत का शुद्ध और सुलभ न्याय भी देखा। गाँव के कारीगरों और मजदूरों में मैंने ईमानदारी के दर्शन किए। राजू के गाँव में कई मंदिर थे। मैंने उन मंदिरों में जाकर भगवान के दर्शन किए। 

                 गाँव में एक पाठशाला भी थी। मैं वहाँ भी गया। बच्चे जमीन पर बिछे टाट पर कतार में बैठ कर पढ़ रहे थे। सभी बच्चे खूब स्वस्थ थे।

                 मैंने गाँव के हरे भरे खेतों की खूब सैर की खेतों में चना, मटर और गेहूँ की फसलें लहलहा रही थीं। खेतों में दूर-दूर तक फूली हुई सरसों मन मोह लेती थी। कहाँ कहाँ कुएँ के पानी से खेतों की सिंचाई हो रही थी। मैं अपने मित्र के खेत गया.

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