एक टूटे हुए छाते की आपबीती रूपरेखा
(1) परिचय (2) जन्म (3) बिकना (3) विविध अनुभव (5) वर्तमान दशा (6) संतोष । ]
मैं एक पुराना छाता है। किसी समय में बहुत काम का था। लेकिन आज यहाँ अँधेरे कोने में पड़ा है। मेरा जन्म पाँच साल पहले हुआ था। छाते के एक कारखाने में तीलियों को जोड़कर मेरा ढाँचा तैयार किया गया। फिर उसमें स्टॉल की चमचमाती डंडी लगाई गई। एक कारीगर ने उस डंडी में एक सुंदर मूठ जड़ दो। फिर काले रंग का मुलायम कपड़ा कर मुझे छाते का रूप दे दिया गया। वाह। उस समय क्या निराली शान थी मेरो ।
कारखाने से मुझे एक बड़ी दुकान में बेचने के लिए भेज दिया गया। मेरे साथ मेरे और भी कई भाई थे। कोई लंबी वाले थे, कोई छोटी इंडीवाले और कोई रंगबिरंगे। एक दिन जोरों की बरसात हुई। एक आदमी भीगता हुआ दुकान में घुसा। पता क्यों उसे मैं पसंद आया। उसने मुझे खरीद लिया। बरसात अब भी हो रही थी। बाहर आकर उसने मुझे खटाक से खोल दिया। चैन पहली बार बरसात में भीगने का मजा लिया।
मेरा मालिक बहुत शौकीन था। उसके साथ मैं बहुत घूमा। मैंने उसके साथ-साथ बाजार, मेले, होटलों तथा सिनेमाघरों की जी भाकर सैर को एक शाम मेरा मालिक मुझे पानवाले की दुकान पर लेकर गया। उसने पनवाड़ी से पान बँधवाया। मुझे दीवार के सहारे टिकाकर वह जेब से पैसे निकालने लगा। इतने में मौका देखकर एक दुबला-पतला आदमी मुझे लेकर खिसक गया। मुझे बहुत बुरा लगा, पर क्या करता? उसने मुझे चोर बाजार में ले जाकर बेच दिया। वहाँ से एक फेरीवाले ने मुझे खरीदा। उसने बरसात के पूरे मौसम में मेरा खूब इस्तेमाल किया। बरसात खत्म होने पर मैंने सोचा कि अब मुझे छुट्टी मिल जाएगी। पर मेरी उम्मीद पर पानी फिर गया। अब फेरीवाला धूप से बचने के लिए मेरा उपयोग करने लगा।
फेरीवाले ने दो साल में मेरा हुलिया बिगाड़ दिया। मेरा कपड़ा कई जगह से फट गया है। मेरी कई तीलियों भी टूट गई हैं। अब में फेरीवाले के किसी काम का नहीं रहा। मुझे उसने टूटे फूटे सामान के साथ बाँधकर कोठे पर फेंक दिया है। अब मैं यहाँ पड़ा है। ऐसी जिंदगी भला किस काम की ?
फिर भी मैं बहुत संतुष्ट हूँ। मेरा जन्म सेवा करने के लिए हुआ था। मैंने लोगों की सेवा करने में कोई कसर नहीं रखी। मुझे उम्मीद है, भगवान मेरे साथ न्याय अवश्य करेंगे।
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