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रविवार, २९ मे, २०२२

भूकंप

                                                           भूकंप     



          भूकंप प्रकृति का एक भयानक रूप है। भूकंप के साधारण झटके अधिक हानि नहीं पहुँचाते। पर भारी झटके विनाशकारी होते है।

      जब पृथ्वी के भीतरी तरल पदार्थ बेहद गर्म हो जाते हैं, तो उनकी भाप का दबाव बहुत बढ़ जाता है। इस दबाव के कारण पृथ्वी की ऊपरी सतह को धक्का लगता है और उस हिस्से की धरती हिल उठती है। यह भूकंप का वैज्ञानिक कारण है। 

        पौराणिक मान्यता के अनुसार हमारी पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी हुई है। शेषनाग के हिलने दुलने पर पृथ्वी भी हिलने लगती है। धार्मिक मान्यता है कि जब पृथ्वी पर पाप बहुत बढ़ जाते हैं, तब उसके भार से पृथ्वी हिल उठती है। यही भूकंप है। 

       भूकंप की अवधि कुछ सेकंड की ही होती है। पर इतने कम समय में भी वह प्रलय मचा देता है। भूकंप के भारी झटकों से जमीन में दरारें पड़ जाती हैं। कभी-कभी जमीन के फट जाने के कारण पृथ्वी के अंदर का गर्म लावा और विषैली गैसें बाहर निकल कर हवा में फैल जाती हैं। भूकंप के भारी झटकों से तबाही मच जाती है। अनेक मकान धराशायी हो जाते हैं। अनेक लोग मलबे के नीचे दबकर मर जाते हैं लाखों लोग बेघर हो जाते हैं। भूकंप की चपेट में आकर गाँव-के-गाँव और शहर देखते ही देखते खंडहरों में बदल जाते हैं। भूकंप के कारण नदियों का प्रवाह बदल जाता है। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की समृद्ध प्राचीन संस्कृति किसी भारी भूकंप का शिकार होने के कारण ही भूगर्भ में विलीन हो गई थी।

      भूकंप की विनाशलीला के बाद राहत कार्य शुरू हो जाते हैं। सरकार तथा सेवाभावी संस्थाएँ तुरंत राहत कार्य में जुट जाती हैं। भूकंप के सामने मानव असहाय है। गुजरात के अंजार, महाराष्ट्र के कोयना व लातूर तथा उत्तर प्रदेश के उत्तरकाशी में आए भयंकर भूकंप की विनाशलीला हम आज तक नहीं भूल सके हैं।

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