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रविवार, २९ मे, २०२२

अकाल

                       अकाल 

              सुंदरता दिव्यता तथा समृद्धि से भरी हुई प्रकृति कभी-कभी रुष्ट हो जाती है। उसका कोप बहुत भयानक होता है। अकाल प्रकृति के कोप का ही एक रौद्र रूप है।

       वर्षा न होने के कारण ही अकाल की स्थिति पैदा होती है। अकाल पड़ने पर धरती को नमी सूख जाती है। पानी न मिलने से फसल नष्ट हो जाती है। खाद्यान्नों के लाले पड़ जाते हैं। वर्षा न होने से नदियाँ तालाब आदि जलाशय सूख जाते हैं। कुओं का जलस्तर घट जाता है। पीने के पानी का संकट पैदा हो जाता है। 

        अकाल की स्थिति बहुत भयावह होती है। किसानों की आनाएँ चिंता में बदल जाती हैं। अनाज के भाव बढ़ जाते हैं। महंगाई के कारण लोग परेशान हो जाते हैं। गरीबों का जीना दूभर हो जाता है। पास भूसा न मिलने से मवेशी दम तोड़ने लगते हैं। गाँव-के गाँव वीरान हो जाते हैं। 

        गुलामी के दिनों में अकाल पीड़ितों की यातनाओं की कोई सीमा नहीं होती थी। पर आज अकाल पीड़ितों को भरपूर सहायता दी जाती है। राज्य सरकारें अकालग्रस्त क्षेत्रों में तुरंत राहत कार्य आरंभ कर देती हैं। केंद्र सरकार भी अकाल से निपटने के लिए भरपूर मदद देती है। सामाजिक संस्थाएँ भी अकाल पीड़ितों की मदद के लिए दौड़ पड़ती है। 

       आजकल पर्यावरणशास्त्री अकाल के कारणों की खोज करने में जुटे हुए हैं। वृक्षारोपण को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा। है। जंगलों की कटाई पर सरकार ने कानूनी रूप से रोक लगा दी है। नदियों पर विशाल बाँध बनाए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में नए नए कुएँ खोदे जा रहे हैं। तालाबों को और अधिक गहरा किया जा रहा है ताकि उनमें अधिक से अधिक पानी इकट्ठा किया जा सके। 

      अकाल के कारण राष्ट्र को बड़ी बड़ी योजनाएँ रुक जाती है। अकाल से निपटने के लिए प्रभावी उपाय करना आज को परम आवश्यकता है।

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