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शनिवार, ३० जुलै, २०२२

भाषा मनुष्य के लिए वरदान :

                            भाषा मनुष्य के लिए वरदान :



 (1) अभिव्यक्ति का माध्यम (2) मनुष्य को ईश्वर का अनमोल उपहार (3) भाषा के बल पर ही मनुष्य की उन्नति (4) भाषा की अदभुत शक्ति (5) हमारी सामाजिकता का आधार । ]

                   सुबह उठकर लोग अखबार पढ़ते हैं। श्रद्धालु जन स्नान कर किसी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करते हैं। किसी का पत्र आने पर उसको जवाबी पत्र लिखा जाता है। अखबार पढ़ना, याद करना, पत्र लिखना या कोई लिखित संदेश भेजना आदि कार्य भाषा के माध्यम से होते हैं। यदि भाषा न होती तो विचारों और भावनाओं की अभिव्यक्ति न हो पाती ? 

                     भाषा मनुष्य के लिए ईश्वरीय उपहार है। ईश्वर ने यह अनमोल उपहार केवल मनुष्य को ही दिया है, किसी अन्य प्राणी को नहीं। भाषा की शक्ति द्वारा ही मनुष्य अपने विचारों, भावों और अनुभवों को सुरक्षित रखने में समर्थ हो सका है। हमारे वेद, पुराण, शास्त्र, महाकाव्य आदि का अस्तित्व भाषा के कारण ही बना हुआ है। भाषा के कारण ही कालिदास, शेक्सपियर, प्रेमचंद आदि लेखक अपने साहित्य के रूप में अमर हो गए।

                       भाषा ने मनुष्य को पंचमहाभूतों का स्वामी बना दिया है। धर्म, विज्ञान, इतिहास और साहित्य की अनमोल कृतियाँ भाषा के कारण ही सुरक्षित रही हैं और हमें आज ज्ञान प्रदान कर रही हैं।

                    भाषा में बड़ी शक्ति होती है। उसमें फूलों की सुगंध है, शहद-सी मिठास है तो कौंटों की चुभन और तलवार की धार भी है। यह सब भाषा के सदुपयोग और दुरुपयोग पर निर्भर है। मधुर भाषा बोलने से शत्रु भी मित्र बन जाता है और कटु भाषा मित्र को भी शत्रु बना देती है। शिष्ट और मधुर भाषा से व्यक्ति की सभ्यता और उसके संस्कार का पता चलता है। 

                  भाषा के बल पर ही मनुष्य ने अपनी सामाजिकता कायम रखी है। मानव जीवन का सारा व्यापार और व्यवहार भाषा के आधार पर ही चलता है। नाटक, सिनेमा, दूरदर्शन, रेडियो सब में भाषा का ही जादू काम करता है। भाषा के बिना चौपालें सूनी हो जाती हैं, सम्मेलन बेजान हो जाते हैं, आपसी मुलाकातें नीरस हो जाती हैं। मानव जीवन में भाषा से ही सरसता आती है।

                   हम भाषा का सही प्रयोग करें और अपनी सभ्यता का परिचय दें।

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