मनोरंजन के साधन.
मन को ताजगी और खुशी के रंग में रंगना ही मनोरंजन है। सभी लोग अपने अपने तरीके से मनोरंजन प्राप्त करते हैं और अपनी रुचि, आवश्यकता और सुविधा के अनुसार मनोरंजन के साधन चुनते हैं।
कोई आकाशवाणी और दूरदर्शन से दिल-दिमाग की थकान मिटाता है, तो कोई फिल्म देखकर कोई उपन्यास कहानियों, पत्र-पत्रिकाओं अथवा अपनी चुनी हुई पुस्तकों में खो जाता है, तो कोई शतरंज, बैडमिंटन, टेबल-टेनिस, कबड्डी, हॉकी, क्रिकेट, बॉलीबॉल आदि खेल खेलने में तल्लीन हो जाता है। खेलों से खेलने वालों तथा दर्शकों, सभी का मनोरंजन होता है।
आजकल तो मनोरंजन के नए-नए साधनों का आविष्कार होता जा रहा है। फिल्मों में बहुत कुछ एक साथ देखने को मिल जाता है। संगीत, वाद्य, नृत्य, कहानी, अभिनय एवं विविध घटनाओं तथा दृश्यावलियों का संगम फिल्मों में उपलब्ध हो जाता है। नाटक, सरकस, जादू के खेल, कठपुतलियों के नृत्य आदि मनोरंजन के साधन भी सुलभ हो जाते हैं। अब शहरों के मनोरंजन के साधन गाँवों में भी पहुँच गए हैं।
लोग घर में शतरंज, ताश, कैरम, पिंगपांग, चौपड़ आदि खेल से अपना मनोरंजन कर लेते हैं। समय-समय पर क्रिकेट, हॉकी, फुटबाल, वॉलीबाल आदि के टूर्नामेंटों की कॉमेन्ट्रियों भी सुनने को मिलती हैं। आजकल मनोरंजन का सबसे सशक्त साधन दूरदर्शन है। दूरदर्शन पर विविध प्रकार के कार्यक्रम देखने को मिलते हैं। फिर भी, चिड़ियाघरों में जाकर प्राणियों को प्रत्यक्ष देखने का आनंद कुछ और ही होता है।
ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थानों की यात्राओं से भी भरपूर मनोरंजन मिलता है और हमारी जानकारी में भी वृद्धि होती है। कुछ लोग पुस्तकालयों में जाकर, पुस्तकों से मनोरंजन प्राप्त होता हैं। बेहतर मनोरंजन वही है, जो हमारे चरित्र-निर्माण में सहायक बने।
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