वनों का महत्त्व अथवा वनों का संरक्षण
[ रूपरेखा (1) प्रकृति का रूप (2) प्राचीन काल में वनों की महिमा (3) वनसंरक्षण के उपाय (4) वनसंरक्षण से (5) वनों को काटने से हानियाँ (6) वनों का महत्त्व । ]
वन प्रकृति का एक महान रूप है। यह मानव के लिए प्रकृति का एक महत्त्वपूर्ण उपहार है। जलवायु और दोनों पर वनों का बहुत प्रभाव पड़ता है।
मनुष्य पुराने जमाने में वनों में ही रहता था। आदिमानव ने वनों में रहकर ही सभ्यता और संस्कृति के मूल पाठ सीखें पुराने जमाने में भारत में शिक्षा के केंद्र प्रायः बनों में ही होते थे। ये शिक्षा केंद्र गुरुकुल के नाम से प्रसिद्ध थे। इन गुरुकुल हजारों विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करते थे। भगवान राम व श्रीकृष्ण आदि महापुरुषों की शिक्षा भी गुरुकुलों में ही हुई थी। प्रात काल में हमारे देश में वानप्रस्थ आश्रम का बहुत महत्त्व था। लोग अपनी आयु का तीसरा हिस्सा - यानी वृद्धावस्था– वने । ही रहकर बिताते थे। प्राचीन काल में ऋषि-मुनि एवं तपस्वों वनों में रहकर ही तपस्या व साधना करते थे।
वनसंरक्षण का अर्थ है वनों को बचाकर रखना। हमारी पाठ्यपुस्तकों में भी वनों के संरक्षण के बारे में जानकारी दी जाती है। वनों के संरक्षण के लिए वनों के आसपास रहने वाले लोगों को विशेष रूप से जागृत करना चाहिए। उन्हें यह बताना चाहिए कि क को सुरक्षित रखने से क्या-क्या लाभ होते हैं। यह बात उन्हें बहुत ही स्नेहपूर्वक समझानी चाहिए। उनके लिए ईंधन को की वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए; ताकि वे ईंधन के लिए पेड़ों को न काटें। कुछ स्वार्थी लोग अपनी कमाई के लिए बनों को अंधाधुंध कटाई करते हैं। ऐसे लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। वनों में उत्पन्न होने वाली वस्तुओं पर आधारित लघु उद्गोणे के विकास पर भी ध्यान देना चाहिए।
वनों का संरक्षण करने से कई लाभ होते हैं। वनों के कारण अच्छी वर्षा होती है। इससे खेतों की पैदावार बढ़ता है। बनों के कारण जमीन का कटाव रुक जाता है। उत्तम जलवायु के लिए वनों का होना बहुत जरूरी है। वनों से वातावरण शुद्ध रहता है।
वनों की अंधाधुंध कटाई से वर्षा की मात्रा घटती है। इससे अकाल पड़ने की संभावना रहती है। वनों के विनाश में औषधियों के लिए जरूरी जड़ी-बूटियों की कमी पड़ जाती है। बन कटने से जंगली जानवर गाँवों की ओर आने लगते हैं। वे गाँव में उत्पात मचाते हैं। इससे गाँववालों के लिए खतरा उत्पन्न हो जाता है। वन हमारे देश की बहुमूल्य संपत्ति है।
हमें गोंद, लाख, शहद, रबड़, बेंत, बीड़ी बनाने के पत्ते, इमारती लकड़िय आदि वस्तुएँ वनों से ही मिलती हैं। कई उद्योग केवल वनों पर ही आधारित हैं। पर्यटन उद्योग के विकास के लिए भी बनों का संरक्षण बहुत जरूरी है। वनों का संरक्षण करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है।
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