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रविवार, ३१ जुलै, २०२२

फिल्मों से लाभ-हानि लाभ

 फिल्मों से लाभ-हानि लाभ



                   दुनिया के हर देश में अलग-अलग भाषाओं में फिल्में बनाई जाती हैं। हमारे देश में भी अनेक भाषाओं में फिल्में बनती हैं हिंदी भाषा में बनी फिल्में बहुत लोकप्रिय हैं।

                  फिल्म विज्ञान की एक बहुत बड़ी देन है। सिर्फ बड़े-बड़े शहरों में ही नहीं, छोटे-छोटे गाँवों तक में फिल्मों ने धूम मचा दी है। फिल्मों का आकर्षण दिन-दिन बढ़ता ही जा रहा है। 

                  फिल्म मनोरंजन का एक लोकप्रिय और सस्ता साधन है। छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, सभी फिल्में देखना पसंद करते हैं। फिल्मों की दिलचस्प कहानियाँ दर्शकों के दिलों पर जादू कर देती हैं। फिल्मों के मधुर गीत-संगीत सुनकर मन झूम उठता है। फिल्मों के मनोरंजक दृश्य देखकर लोगों की चिंताएँ दूर हो जाती है।

                  फिल्में किसी-न-किसी कहानी को लेकर बनाई जाती हैं। कुछ फिल्मों की कहानियाँ पारिवारिक एवं प्रेमकथा पर आधारित होती हैं। कुछ फिल्मों की कहानियों में दहेज, देशद्रोह और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं की चर्चा होती है। लगभग हरफिल्म में मनोरंजन के साथ साथ कोई-न-कोई संदेश होता है। कई फिल्मों ने लोगों के मन में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाने में अद्भुत काम किया है। स्वतंत्र भारत के निर्माण में फिल्मों का कम योगदान नहीं रहा। फिल्में समाज को बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

                  फिल्मों के निर्माण में अनेक कलाकारों, तकनीशियनों और मजदूरों की जरूरत पड़ती है। बड़े-बड़े कलाकारों को जहाँ अच्छे पैसे मिलते हैं, वहीं अनेक लोगों को इससे रोजी-रोटी मिलती है। फिल्मों के विकास के साथ अभिनय, गीत संगीत, नृत्य आदि कलाओं का भी विकास होता है। इससे देश की एकता मजबूत होती है। हिंदी फिल्मों ने हिंदी को लोकप्रिय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

                     फिल्मों ने समाज में कुछ बुराइयाँ भी फैलाई हैं। फिल्मों के द्विअर्थी गीतों, उत्तेजक नृत्यों तथा मारामारी के क्रूर दृश्यों का दर्शकों पर बुरा असर पड़ता है। कुछ लोग फिल्मों से हत्या, चोरी, ठगी आदि की तरकीबें भी सीखते हैं। सिनेमा के कारण तरह-तरह के खर्चीले और विचित्र फैशन प्रचलित होते हैं। हमारे संस्कारों को नष्ट करने का काम सिनेमा ने खूब किया है। समाज में अनैतिकता फैलाने में भी कुछ हद तक फिल्में ही जिम्मेदार हैं। 

                    फिर भी फिल्में मनोरंजन का एक शक्तिशाली साधन हैं। वह सामाजिक बदलाव का भी एक सशक्त माध्यम है। फिल्म-निर्माताओं का कर्तव्य है कि वे ऐसी फिल्में बनाएँ, जो मनोरंजन के साथ समाज और राष्ट्र के लिए हितकारी हों। यदि फिल्मों का सही ढंग से उपयोग किया जाए, तो वे देश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

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