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रविवार, ३१ जुलै, २०२२

गुलामी और आजादी

 गुलामी और आजादी 


      (रूपरेखा (1) गुलामी का अर्थ (2) गुलामी के लिए परिस्थितियाँ जिम्मेदार (3) आजादी का महत्त्व (4) पिंजरे के पक्षी का उदाहरण (5) गुलाम व्यक्ति की मनोदशा (6) गुलामी ही बगावत का कारण (7) गुलामी की कैद से भारत का आजाद होना । ]

                  गुलामी और आजादी एक दूसरे के विरुद्धार्थी शब्द हैं। गुलामी का अर्थ है किसी व्यक्ति के अधीन होना। गुलामी में जीने वाले व्यक्ति को मालिक की इच्छा के अनुसार चलना पड़ता है। उसकी अपनी इच्छा का कोई अर्थ नहीं रहता। 

                प्राणी जन्म से ही स्वतंत्र होता है। स्वतंत्रता उसका जन्मसिद्ध अधिकार है। लेकिन परिस्थितियों के कारण उसे गुलामी स्वीकार करनी पड़ती है। मनुष्य स्वतंत्र रहकर जो चाहे वह कर सकता है। गुलामी में मनुष्य का यह अधिकार छिन जाता है। उसको अपनी इच्छा का कोई महत्व नहीं होता।

                   मनुष्य का विकास आजादी में ही होता है। स्वतंत्र रहकर उसमें नए नए विचार जन्म लेते हैं। वह उन विचारों पर अमल कर सकता है। उन पर कोई भी किसी प्रकार का अंकुश नहीं लगा सकता। गुलामी में कोई जीना नहीं चाहता। पक्षी भी पिंजड़े में बंद रहना नहीं चाहते। वे इसका विरोध करते हैं। वे अपने पंख फड़फड़ाते और खाना-पीना तक छोड़ देते हैं। पर धीरे-धीरे वे गुलामी के अभ्यस्त हो जाते हैं। 

              एक समय ऐसा आता है, जब आजाद पक्षी की भाँति उड़ने की उनकी इच्छा मर जाती है। पिंजड़े से बाहर निकाल देने पर भी वे फिर उसी पिंजड़े में लौट आते हैं। यहाँ दशा गुलामी में जीने वाले व्यक्तियों की होती है। गुलामी में रहते रहते उनमें निष्क्रियता के दुर्गुण आ जाते हैं। चाहे पराधीन व्यक्ति हो या पराधीन राष्ट्र, पराधीनता सभी को विवश बना देती है। पराधीन व्यक्ति में कितनी ही योग्यता क्यों न हो, उस योग्यता की कोई कद्र नहीं होती। उसे अपनी योग्यता दिखाने का अवसर नहीं मिलता। गुलामी में जीने वाले व्यक्ति अत्यधिक अत्याचार होने पर विद्रोह का रास्ता अपनाते हैं। 

                  अपनी आजादी वापस लेने के लिए लोग संघर्ष करते हैं, जेल जाते हैं, भूखे-प्यासे रहते हैं और कई लोग शहीद भी हो जाते हैं। भारत की आजादी की लड़ाई इसी तरह लड़ी गई थी। ब्रिटिश शासक अपने को स्वामी और भारतवासियों को दास समझते थे। यह स्थिति अधिक समय तक नहीं चली। आजादी के लिए विद्रोह ऐसा भड़का कि अंग्रेजों को भारत छोड़कर भागना पड़ा। हमारे नेताओं ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करा कर ही दम लिया।

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