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सोमवार, १६ मे, २०२२

हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के

               हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के

 

पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के,

अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के,

मंज़िल पे आया मुल्क हर बला को टाल के,

सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के।

 

हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के,

इस देश को रखना मेरे बच्चों सँभाल के।

तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के,

इस देश को रखना मेरे बच्चों सँभाल के ।

 

देखो कहीं बरबाद ना होवे ये बग़ीचा,

इसको हृदय के ख़ून से बापू ने है सींचा ।

रखा है ये चिराग़ शहीदों ने बाल के,

इस देश को रखना मेरे बच्चों सँभाल के।

 

दुनिया के दाँव-पेंच से रखना ना वास्ता,

मंज़िल तुम्हारी दूर है लम्बा है रास्ता

भटका ना दे कोई तुम्हें धोखे में डाल के,

इस देश को रखना मेरे बच्चों सँभाल के ।

 

ऐटम बमों के ज़ोर पे ऐंठी है ये दुनिया,

बारूद के एक ढेर पे बैठी है ये दुनिया,

तुम हर कदम उठाना ज़रा देख भाल के,

इस देश को रखना मेरे बच्चों सँभाल के ।

आराम की तुम भूल-भुलइया  में ना भूलो,

सपनों के हिंडोलों पे मगन हो के ना झूलो।

अब वक़्त आ गया मेरे हँसते हुए फूलों,

उठो छलाँग मार के आकाश को छू लो।

तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के,

इस देश को रखना मेरे बच्चों सँभाल के।

 

 

 


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