ऐ मेरे वतन के लोगो
ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा
यह शुभ दिन है हम सबका लहराओ तिरंगा प्यारा
पर मत भुलो सीमा पर वीरोंने प्राण गवाएं
कुछ याद उन्हें भी करलो जो लौट के घर ना आए
ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आँखमे भरलो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी।।धृ।।
जब घायल हुआ हिमालय खतरे में पड़ी आजादी
जब तक थी सांस लडे वे फिर अपनी लाश बिछा दी।
हो गये वतन पे निछावर वे वीर थे कितने गुमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी ॥। १॥
जब देश में थी दीवाली वे खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में वे झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वे अपने और धन्य है उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी ।।२ ।।
शेरोंकी तरह झपटे थे भारत के बहादुर बेटे
इस मुल्क की जान बचाते मर गए बर्फपर लेटे
संगीन पर घर कर माथा सो गए अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी ॥ ३॥
कोई सीख कोई जाट मराठा कोई गुरखा कोई मद्रासी
सरहद पर मरनेवाला हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वतपर वह खून था हिंदुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी ॥४॥
थी खून से लथपथ काया फिर भी बंदूक उठाके
एक-एक ने दस को मारा गिर गये होश गवाँके
जब अंत समय आया तो कह गये कि अब मरते हैं
खुष रहना देश के प्यारों अब हम तो सफर करते हैं
क्या लोग ये दिवाने क्या लोग थे वे अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी।।५।।
जय हिंद जय हिंद की सेना जय हिंद जय हिंद।।
• कवी प्रदीप
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