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सोमवार, १६ मे, २०२२

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

                        सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

 

एक से करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बात-चीत

देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है।

 

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए-क़ातिल  में है।

 

वक़्त आने पर बता देंगे तुझे ओ आसमाँ

हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है ।

 

खींच  के लाई है सबको क़त्ल होने की उम्मीद

आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल  में है।

 

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