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रविवार, २९ मे, २०२२

वर्षा ऋतु

                     वर्षा ऋतु 


       कवियों ने ऋतुराज वसंत का बहुत गुणगान किया है लेकिन हमारे जीवन में विशेष महत्त्व वर्षा ऋतु का है, क्योंकि हमारे देश में पानी का मुख्य स्रोत वर्षा ऋतु ही है। 

      ग्रीष्म ऋतु की प्रचंड गर्मों से नदी नाले और तालाब सूख जाते हैं। पशु पक्षी मनुष्य असहय गर्यो से व्याकुल हो जाते हैं। ऐसे में वर्षा ऋतु वरदान बनकर आती है। बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की कड़कड़ाहट से वातावरण संजॉय हो उठता है। 

       बरसात की पहली फुहार से भीगी हुई धरती की महक चारों ओर फैल जाती है। बरसात से वातावरण सुहावना हो जाता है। वनों और बगीचों में नाचते हुए मोर बरसात का स्वागत करते हैं। पपीछे को 'पी.पी वर्षा ऋतु के वातावरण को और भी आनंदमय बना देती है। हर ओर मेढकों की दरे दई और झींगुरों को झनकार गूंजने लगती है। वर्षा का अमृतजल पीकर पेड़ पौधे हरे-भरे हो जाते हैं। पेड़ पौधों पर रंगबिरंगे फूल खिल उठते हैं। देखते ही देखते ह तरफ हरियाली छा जाती है। आकाश में सतरंगी इंद्रधनुष की शोभा देखते ही बनती है। 

       बरसात का आगमन अन जीवन में नई उमंग भर देता है। छोटे-छोटे बच्चे वर्षा के गीत गाते हुए बाहर निकल पड़ते हैं। वे वर्षा के शीतल जल में उछलते-कूदते और जी भरकर स्नान करते हैं। कुछ बच्चे वर्षा के बहते जल में कागज को नायें तैराते हैं। गाँवों में युवतियों का आनंद गीतों के रूप में व्यक्त होता है। किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। 

          भारत कृषि प्रधान देश है। यहाँ खेती ही लोगों का मुख्य व्यवसाय है और खेती का मुख्य आधार बरसात हो है। संतुलित वर्षा खेती के लिए बहुत उपयोगी होती है। इससे अच्छी फसल पैदा होती है। इसलिए वर्षा ऋतु हमारे देश को अन्नपूर्णा है।

         कभी-कभी अतिवृष्टि से नदियों में बाढ़ आ जाती है। ऐसे समय जान माल का बहुत नुकसान होता है। वर्षा ऋतु में अनेक प्रकार के विषैले जंतुओं की उत्पत्ति होती है, जिनसे अनेक बीमारियाँ फैलती है। किंतु इससे वर्षा ऋतु का महत्त्व कम नहीं होता है। जल हमारा जीवन है और यह हमें बरसात से ही मिलता है। इस प्रकार वर्षा ऋतु जीवन देने वाली ऋतु है। यह हमारे जीवन का मुख्य आधार है।

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