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रविवार, २९ मे, २०२२

हमारी पाठशाला का चपरासी

   हमारी पाठशाला का चपरासी 

[ रूपरेखा (1) परिचय (2) पाठशाला की साफ-सफाई (3) अन्य काम (4) छात्रों से लगाव (5) अमूल्य सेवाएँ।] 

     भोलाराम हमारी पाठशाला का प्रधान चपरासी है। अपने नाम के अनुसार वह सचमुच भोला है। पाठशाला में भोलाराम के अलावा अन्य चार चपरासी भी हैं। भोलाराम उन सभी से प्रेम और आत्मीयता रखता है। 

        भोलाराम का रंग साँवला है। वह साफ-सुथरी वर्दी पहनता है। वह खाकी रंग की टोपी लगाता है। हमारी पाठशाला ग्यारह बजे शुरू होती है। पर भोलाराम नौ बजे ही पाठशाला में हाजिर हो जाता है। भोलाराम के कारण ही अन्य चपरासी भी जल्दी पहुँच हैं। पाठशाला में पहुंचते ही सब अपने-अपने काम में जुट जाते हैं। 

        भोलाराम अपने सहयोगियों के साथ सबसे पहले पूरे विद्यालय की सफाई करता है। फिर वह हर कक्षा में जाकर ब्लैक बोर्ड साफ करता है और हर चीज ठीक से रखता है। वह सही समय पर घंटा बजाता है। पिछले पच्चीस साल से भोलाराम इसी तरह पाठशाला की सेवा करता आ रहा है। भोलाराम अपना हर काम लगन से करता है। कोई पुस्तक, कोई नक्शा या कोई भी फाइल माँगिए, भोलाराम तुरंत लाकर हाजिर कर देता है। बैंक से रुपये निकालने हों या बैंक में रुपये जमा करने हों, स्कूल के लिए कोई खरीदारी करनी हो, भोलाराम हर काम का जानकार है। काम के प्रति लापरवाही उसे पसंद नहीं। इसलिए सभी अध्यापक भोलाराम को बहुत चाहते हैं। प्रधानाचार्य का तो वह दाहिना हाथ ही है। 

        भोलाराम पाठशाला के विद्यार्थियों को अपने बच्चों की तरह प्यार करता है। पर यदि कोई विद्यार्थी अनुशासन भंग करता है, तो वह उसे जरूर टोकता है। जब पाठशाला के विद्यार्थी पर्यटन पर जाते हैं तो भोलाराम उनके साथ जाता है। अन्य चपरासी भी उसके साथ रहते हैं। वह विद्यार्थियों के सामान की देखभाल करता है। पाठशाला में कोई समारोह होता है, तो उसकी भाग-दौड़ देखते ही बनती है। 

           पचास वर्ष का भोलाराम चुस्ती-फुरती में किसी से कम नहीं है। यह पाठशाला ही भोलाराम की दुनिया है। हजारों विद्यार्थी आए और गए पर भोलाराम आज भी जहाँ का तहाँ है। हमारी पाठशाला के लिए उसकी सेवाएँ अमूल्य है।

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