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शनिवार, २८ मे, २०२२

रक्षाबंधन

                          रक्षाबंधन

 

           रक्षाबंधन हमारे देश का अति प्रिय और पवित्र त्योहार है। यह हर साल सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है।

         इस त्योहार के बारे में कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार इसी दिन देवराज इंद्र की पत्नी शची ने सभी देवताओं को रक्षा सूत्र बाँधा था। इस एकता के बल पर देवताओं ने असुरों पर विजय पाई थी एक अन्य कथा के अनुसार श्रावणी पूर्णिमा के दिन ऋषि-मुनि अपनी साधना की पूर्णाहुति करते थे। इस अवसर पर वे राजाओं की कलाई में राखी बाँधकर उन्हें आशीर्वाद देते थे। इसी दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि का घमंड चूर-चूर कर दिया था। इसलिए गुजरात में रक्षाबंधन के पर्व को 'बले' कहते हैं। महाराष्ट्र में यह पर्व नारियल पूर्णिमा' के रूप में मनाया जाता है। 

          रक्षाबंधन के अवसर पर भाई बहन का स्नेह व्यक्त होता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती है। वह अपने भाई के मंगल की कामना करती है। भाई प्यार से बहन को कुछ उपहार देता है। रक्षाबंधन के दिन भाई बहन बचपन की यादों में खो जाते हैं। इस दिन घर घर में खुशी का वातावरण होता है

         आज समय बदल गया है। राखियों में भी व्यावसायिकता आ गई है। धन कमाने के लिए एक से बढ़कर एक कीमती राखियाँ बनाई जाती है। रक्षाबंधन के त्योहार में स्नेह और रक्षा करने की भावना का महत्त्व है, न कि कीमती राखियों का।

       रक्षाबंधन पारिवारिक एवं सामाजिक एकता का सुंदर एवं पवित्र पर्व है। स्कूल-कॉलेजों और सामाजिक संस्थाओं में रक्षाबंधन का त्योहार मनाना चाहिए।

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